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वीडियो जानकारी: 11.11.24, वेदान्त संहिता, ग्रेटर नोएडा
विवरण:
इस वीडियो में आचार्य जी ने सहजता और आत्मज्ञान के महत्व पर चर्चा की है। उन्होंने बताया कि आत्मज्ञानी व्यक्ति सहज होता है और उसे किसी भी स्थिति में अपने आप को बनाए रखने की क्षमता होती है। उदाहरण के तौर पर, वे बताते हैं कि कैसे एक वकील को जज के सामने खड़ा होना पड़ता है, जबकि वह अपने आप को सहज बनाए रखता है।
आचार्य जी ने यह भी स्पष्ट किया कि सहजता एक निर्णय नहीं है, बल्कि यह एक स्वाभाविक अवस्था है जो आत्मज्ञान से आती है। उन्होंने कहा कि जब हम अपने अहंकार को छोड़कर अपनी वास्तविकता को स्वीकार करते हैं, तब हम सहज बनते हैं।
वह यह भी बताते हैं कि लोग अक्सर अपने आप को ऊँचा दिखाने की कोशिश करते हैं, जबकि उन्हें अपनी वास्तविक स्थिति को स्वीकार करना चाहिए। आत्मज्ञान का फल सभी को चाहिए, लेकिन इसके लिए हमें अपनी जड़ों को सींचना होगा और आत्म-निरीक्षण करना होगा।
आचार्य जी ने अंत में कहा कि जितना अधिक हम अपनी गंदगी को देखेंगे और स्वीकार करेंगे, उतना ही अधिक हम आत्मज्ञान की ओर बढ़ेंगे।
🎧 सुनिए #आचार्यप्रशांत को Spotify पर:
https://open.spotify.com/show/3f0KFweIdHB0vfcoizFcET?si=c8f9a6ba31964a06
संगीत: मिलिंद दाते
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